रायगढ़। रायगढ़ जिले में स्थित कोसमनारा, आध्यात्मिकता और भक्ति का प्रमुख केंद्र बन चुका है। रायगढ़ स्टेशन से मात्र 4- 5 किमी की दूरी पर स्थित यह छोटा सा गांव, आज देशभर में बाबा सत्यनारायण की तपोस्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान न केवल आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि बाबा सत्यनारायण के तप और त्याग की प्रेरक कहानी को भी जीवंत करता है।
बाबा सत्यनारायण का जीवन और तपोस्थली का इतिहास :

12 जुलाई 1984 को रायगढ़ के दूमरपाली गांव में एक किसान परिवार में जन्मे हलधर साहू, बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। शिवभक्त हलधर, जो अब बाबा सत्यनारायण के नाम से जाने जाते हैं, बाल्यावस्था में भूपदेवपुर के निकट ग्राम दातरंगुड़ी के शिव मंदिर में हर गुरुवार भगवान भोलेनाथ की आराधना करते थे।
16 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने घर-परिवार और सांसारिक जीवन को त्यागकर भगवान शिव को समर्पित करने का संकल्प लिया। कोसमनारा में स्थित एक साधारण खेत के टीले पर, उन्होंने तपस्या आरंभ की। यहां एक ढेला को शिवलिंग मानकर उन्होंने अपनी जिह्वा काटकर भगवान शिव को अर्पित कर दी और कठिन तप में लीन हो गए।
उनके इस त्याग और तप की खबर सुनकर जब उनके परिवार ने उन्हें घर लौटने के लिए मनाने की कोशिश की, तो बाबा सत्यनारायण ने अपनी पूरी जिंदगी भगवान शिव की साधना को समर्पित करने का निर्णय लिया। तब से यह स्थान एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में विख्यात हो गया है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व :
बाबा सत्यनारायण आज भी कड़कड़ाती ठंड, चिलचिलाती धूप, या भारी बारिश में खुले आसमान के नीचे तपस्या में लीन रहते हैं। उनकी साधना और भक्ति के कारण, कोसमनारा में यह तपोस्थली अब बाबा धाम के नाम से जानी जाती है।
इस स्थल पर मां दुर्गा का एक भव्य मंदिर भी निर्मित किया गया है, जहां भक्तजन पूजा-अर्चना करने आते हैं। इसके अलावा, श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला का भी निर्माण किया गया है।
त्योहार और उत्सव :
बाबा सत्यनारायण का स्थापना दिवस हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। सावन के महीने में यहां शिवभक्तों और कांवड़ियों का भारी जमावड़ा होता है। भक्तजन बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करने और शिवलिंग पर जल अर्पण करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
दोनों नवरात्रि और शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले जैसा माहौल रहता है। श्रद्धालु भजन-कीर्तन, पूजा-अर्चना और अन्य धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।
कोसमनारा: तीर्थस्थल का विकास :
पहले जो स्थान एक निर्जन क्षेत्र था, वह अब एक प्रमुख तीर्थस्थल बन चुका है। बाबा सत्यनारायण की तपोभूमि के कारण कोसमनारा गांव आज देशभर में प्रसिद्ध हो गया है। यहां आने वाले भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि बाबा सत्यनारायण के जीवन से प्रेरणा भी मिलती है।
कैसे पहुंचे?
कोसमनारा, रायगढ़ स्टेशन से मात्र 5 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्थल सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन रायगढ़ है, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
निष्कर्ष :
बाबा सत्यनारायण की तपोस्थली कोसमनारा भक्ति, तप और त्याग का प्रतीक है। यह स्थान न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि पर्यटकों और आध्यात्मिक खोजकर्ताओं के लिए भी अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। अगर आप रायगढ़ या उसके आसपास हैं, तो इस पवित्र स्थल पर अवश्य जाएं और बाबा सत्यनारायण का आशीर्वाद प्राप्त करें।
