रायगढ़। हर वर्ष 14 जून को मनाया जाने वाला विश्व रक्तदान दिवस न केवल एक जागरूकता अभियान है, बल्कि यह एक ऐसा दिन है जो हमें यह स्मरण कराता है कि मानव जीवन का सबसे मूल्यवान उपहार -“रक्त”-केवल मनुष्य ही मनुष्य को दे सकता है। आधुनिक विज्ञान इस तथ्य को स्पष्ट करता है कि आज तक रक्त का कोई विकल्प नहीं खोजा जा सका है। अस्पतालों में हज़ारों मरीज़, दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति, थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चे, या गर्भवती महिलाएँ सब की जीवन रेखा किसी अनजान रक्तदाता के सहयोग से जुड़ी होती है। ऐसे में यह हर स्वस्थ व्यक्ति का नैतिक, सामाजिक और मानवीय कर्तव्य है कि वह समय-समय पर रक्तदान करता रहे।
परंतु क्या यह केवल एक चिकित्सकीय कर्तव्य है? नहीं-भारतीय दर्शन और ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से भी रक्तदान एक अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी कर्म है। ज्योतिष में रक्त का प्रतिनिधित्व मंगल ग्रह करता है, जो हमारे भीतर ऊर्जा, साहस, क्रिया शक्ति और रक्त प्रवाह का स्वामी माना गया है। यदि किसी की कुंडली में मंगल दोष हो, मांगलिक स्थितियाँ हों, या वह बार-बार दुर्घटनाओं, आक्रोश या रक्त विकारों से जूझ रहा हो-तो नियमित रक्तदान उस दोष को शांत कर सकता है। यह केवल कर्म नहीं, एक आध्यात्मिक प्रक्रिया भी बन जाती है।
इसी प्रकार, सूर्य, जो जीवन ऊर्जा और आत्मबल का प्रतीक है, अगर अशुभ स्थिति में हो, तो दूसरों के जीवन की रक्षा कर व्यक्ति अपने भीतर के तेज को पुनः जाग्रत कर सकता है। शनि और राहु जैसे ग्रहों से जुड़े भय, मानसिक तनाव और शरीर की कमजोरी भी सेवा कर्मों के माध्यम से शांत होती है। दान और सेवा-ये केवल ग्रंथों की बातें नहीं, बल्कि ग्रहों की कृपा को व्यवहार में उतारने के साधन हैं।
रक्तदान से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एक व्यक्ति द्वारा दूसरे को दिया गया सबसे शुद्ध और तात्कालिक जीवनदान है। यह सेवा का ऐसा रूप है जिसमें दातृत्व के साथ-साथ विज्ञान, करुणा और ज्योतिष – तीनों का अद्भुत समन्वय होता है।आज जब दुनिया दुर्घटनाओं, महामारी, और रक्त संबंधी बीमारियों से जूझ रही है-तब यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि रक्तदान आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुका है। भारत जैसे विशाल देश में, जहाँ प्रति मिनट कई रोगी रक्त की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, वहाँ हम सबको यह संकल्प लेना होगा कि-•हम हर छह महीने में कम से कम एक बार रक्तदान करेंगे।
•हम दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे।
•हम इसे केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना मानकर करेंगे।
इस विश्व रक्तदान दिवस पर हम केवल यह न सोचें कि “किसी और को करना चाहिए”, बल्कि खुद आगे बढ़ें और कहें-मैं दूँगा रक्त, ताकि कोई माँ अपनी संतान को खोने से बच जाए। मैं करूँगा दान, ताकि मेरी आत्मा भी निर्मल हो।
क्योंकि रक्तदान एक ऐसा यज्ञ है, जिसमें कुंड में कोई वस्तु नहीं, स्वयं की शक्ति अर्पित होती है और उसका फल कई गुना बढ़कर वापस जीवन को संबल देता है।
रक्तदान केवल सेवा नहीं, यह धर्म, ज्योतिष और विज्ञान तीनों के मध्य एक सेतु है। यह कर्म केवल दूसरों की भलाई नहीं करता, बल्कि अपने भाग्य, स्वास्थ्य और ग्रहों को भी सशक्त करता है।तो आइए, इस पवित्र दिन हम सब जीवनदायी कर्म की इस परंपरा को आत्मसात करें।
रक्तदान करें जीवन भी बचेगा,भाग्य भी सुधरेगा।
