रायगढ़। छत्तीसगढ़ के पूर्व विधायक यूडी मिंज का हालिया सोशल मीडिया पोस्ट, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति में भारत की हार को सुनिश्चित बताया है, अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। यह न केवल राष्ट्र के गौरव और आत्मसम्मान के विरुद्ध है, बल्कि स्वतंत्र भारत की अस्मिता पर एक खुला प्रहार है। भारत वह भूमि है, जिसने 1965, 1971 और 1999 के युद्धों में अपने अदम्य साहस, वीरता और त्याग से पूरी दुनिया को यह सिखाया है कि हमारा देश न तो दबता है, न टूटता है और न ही पराजय स्वीकार करता है। यूडी मिंज जैसे नेताओं का पराजयवादी वक्तव्य भारतीय सैनिकों के बलिदान का अपमान है और करोड़ों देशवासियों के आत्मबल को चोट पहुँचाने का प्रयास है, जिसे किसी भी दृष्टि से क्षमा नहीं किया जा सकता।
जो नेता इस देश के अन्न, जल और सम्मान पर पले-बढ़े हैं, यदि वे आज देश के पतन की भविष्यवाणी करते हैं, तो यह केवल मानसिक दुर्बलता नहीं, बल्कि राष्ट्रद्रोह की सी स्थिति है। सार्वजनिक जीवन में बैठे व्यक्तियों का यह परम कर्तव्य है कि वे हर परिस्थिति में देशवासियों का मनोबल बढ़ाएँ, राष्ट्र के प्रति विश्वास जगाएँ, न कि भय और हार का माहौल फैलाएँ। यूडी मिंज का यह बयान उन वीर जवानों के शौर्य के विरुद्ध खड़ा है जो सीमा पर अपने प्राणों की बाजी लगाकर तिरंगे की शान को अक्षुण्ण रखते हैं। ऐसे बयान न केवल घोर लज्जाजनक हैं, बल्कि यह प्रश्न भी खड़ा करते हैं कि क्या इस तरह की मानसिकता रखने वालों को राजनीति में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार है?
मैं स्पष्ट शब्दों में कहता हूँ कि यूडी मिंज को राष्ट्र के समक्ष घुटनों के बल आकर माफी माँगनी चाहिए। यदि उनमें रत्तीभर भी देशभक्ति शेष है, तो वे सार्वजनिक जीवन से तत्काल त्यागपत्र दें। यदि वे स्वयं नहीं हटते, तो प्रशासन को चाहिए कि उनके विरुद्ध राष्ट्रद्रोह जैसी गंभीर धाराओं में कठोर कानूनी कार्यवाही करे, ताकि देश के सम्मान और सैन्य बल के प्रति अपमानजनक वक्तव्य देने वालों को एक कड़ा संदेश दिया जा सके। भारत माता के लाखों सपूतों ने अपने रक्त से इस धरा को सींचा है। उनकी कुर्बानियों का मखौल उड़ाने वालों को माफ करना न तो न्याय है, न राष्ट्रधर्म। भारत का भविष्य पराजय से नहीं, विजय, स्वाभिमान और आत्मबल से लिखा गया है और आगे भी लिखा जाएगा। जो भारत को कमज़ोर मानते हैं, वे स्वयं समय के प्रवाह में लुप्त हो जाएँगे, पर भारत अखंड और अजेय बना रहेगा।
– पंडित कान्हा शास्त्री
(ज्योतिषविद लेखक एवं सामाजिक विचारक)
