रायगढ़। जब भी प्रकृति और कला के मेल की बात होती है, तो रायगढ़ के गोपाल पटेल का नाम सहज ही जुबान पर आ जाता है। पटेल न केवल एक समर्पित प्रकृति प्रेमी हैं, बल्कि उन्होंने बोनसाई कला को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लिया है। उनका घर अब एक छोटे, मंत्रमुग्ध कर देने वाले बोनसाई गार्डन में बदल गया है, जो उनकी कड़ी मेहनत, धैर्य और प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम का प्रमाण है।

एक छोटा जंगल, घर के भीतर
गोपाल पटेल के बगीचे में प्रवेश करते ही आप छोटे-छोटे पेड़ों के एक जादुई संसार में खो जाते हैं। विभिन्न प्रजाति एवं फूलों वाले पौधे, सभी बोनसाई के रूप में इनके यहां मौजूद हैं।
प्रत्येक बोनसाई पेड़ एक कहानी कहता है– आकार देने की कला, धैर्य से इंतजार करने का कौशल और प्रकृति के सूक्ष्म सौंदर्य को समझने की गहरी भावना के साथ पटेल ने अपने बोनसाई गार्डन को इस तरह संवारा है कि यह एक लघु जंगल का अनुभव कराता है, जहां हरियाली और शांति का साम्राज्य है। किसी पौधे की उम्र 30 वर्ष की है तो कोई पौधा 25 बरस का हो चुका है इस प्रकार से गमले में ही एक छोटी सी जगह पर एक बड़ा सा हरा भरा गार्डन इन्होंने तैयार कर लिया है।


बोनसाई के प्रति जुनून
पटेल बताते हैं कि बोनसाई की कला ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया था। “मुझे हमेशा से प्रकृति से प्यार रहा है, लेकिन बोनसाई ने मुझे पेड़ों के साथ एक अनोखा संबंध बनाने का मौका दिया,” वे कहते हैं। उन्होंने इस कला को सीखने के लिए किताबें पढ़ीं, विशेषज्ञों से सलाह ली और घंटों अपने पौधों के साथ बिताए। उनका जुनून सिर्फ अपने बगीचे तक ही सीमित नहीं है,बल्कि वे अक्सर स्थानीय आयोजनों में दूसरों को भी इस अद्भुत शौक को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
प्रकृति प्रेम की मिसाल है गोपाल – विकास अग्रवाल (अध्यक्ष रुक्मणि विहार समिति)

गोपाल पटेल का बोनसाई गार्डन सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि उनके गहरे प्रकृति प्रेम का प्रतीक है। उनका मानना है कि बोनसाई हमें प्रकृति के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है और हमें यह सिखाता है कि कैसे छोटे से स्थान में भी जीवन की सुंदरता को पोषित किया जा सकता है। उनका यह प्रयास रायगढ़ शहर के लिए एक प्रेरणा है, जो यह दर्शाता है कि कैसे व्यक्ति अपने प्रयासों से अपने आसपास के वातावरण को हरा-भरा और सुंदर बना सकता है।
बहरहाल गोपाल पटेल का बोनसाई गार्डन रायगढ़ में प्रकृति प्रेमियों और कला प्रेमियों के लिए एक नया आकर्षण बन गया है, जो हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ हमारा संबंध कितना गहरा और सार्थक हो सकता है।
📝 – नितेश शर्मा

