Sunday, April 20, 2025
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भीषण गर्मी से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट: लू से बचने के लिए जारी की एडवाइजरी, स्वास्थ्य केंद्रों में विशेष इंतजाम…

रायगढ़। तापमान में बढ़ोतरी को देखते हुए लू से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है। साथ ही जिला अस्पताल से लेकर उप स्वास्थ्य केंद्र तक कि संस्थाओं को लू के प्रकरणों के उपचार के लिए अलर्ट पर रहने के निर्देश जारी किए गए हैं। लू के प्रारंभिक प्रबंधन के लिए सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में ओरल डिहाईड्रेशन थेरेपी कार्नर बनाए गए हैं। उल्टी, दस्त, बुखार के प्रबंधन और उपचार के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं स्वास्थ्य केंद्रों में सुनिश्चित की गई हैं।
         
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अनिल कुमार जगत ने जानकारी देेते हुए बताया कि इस वर्ष मार्च महीने में ही छ.ग. सहित अन्य राज्यों में सामान्य से अधिक तापमान में वृद्धि हो रही है। इसमें ‘लू’ लगने की संभावना भी अधिक होती है। स्वास्थ्य अधिकारी ने लोगों को लू से बचाव के लिए सतर्कता बरतने एवं प्रारंभिक उपचार के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि घर पर भी प्रारंभिक उपचार की जा सकती है, जैसे तेज बुखार आने पर सिर में ठंडे पानी की पट्टी लगाएं, पानी व तरल पदार्थ अधिक लें, फिर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। लू के मरीजों के लिए उपचार की पर्याप्त व्यवस्था है। सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में ओरल डिहाईड्रेशन थेरेपी कार्नर की स्थापना की गई है।

लू के लक्षण:

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.जगत ने बताया कि तेज धूप के कारण लू की आशंका ज्यादा हो जाती है, लू के कारण अगर शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाये तो कभी-कभी ये जानलेवा भी हो सकती है। उन्होंने लू के लक्षण के बारे में बताया कि तेज बुखार, चक्कर आना, सिरदर्द एवं भारीपन, उल्टी आना, मुंह सूखना, शरीर में पसीना न आना, भूख कम लगना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, पेशाब कम एवं पीला आना आदि लू के प्रारंभिक लक्षण होते हैं।

बचाव के उपाय:

स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि लू के लक्षण, बचाव व उपचार की जानकारी रहने से एवं सावधानी रखने से काफी हद तक लू के चपेट से बचा जा सकता है। लू लगने का प्रमुख कारण तेज धूप व शरीर में पानी की कमी है। सामान्यत: दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक धूप तेज होती है इस दौरान संभव हो सके तो धूप में जाने से बचे। धूप में जाना आवश्यक हो तो सिर और कानों को कॉटन (सूती) के कपड़े से अच्छी तरह ढंक लें और पानी अधिक मात्रा में पियें। खाने में फल, जूस, दही एवं अन्य तरल पदार्थों को अधिक से अधिक मात्रा में शामिल करें।

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