रायगढ़। छत्तीसगढ़ के अग्रवाल समाज के लिए एक अद्भुत अवसर प्रदान करते हुए, प्रांतीय अग्रवाल संगठन के संयोजन में “श्री अग्रसेन अयोध्या तीर्थ यात्रा” का आयोजन किया जा रहा है। इस विशेष यात्रा की जिम्मेदारी प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री राजेंद्र अग्रवाल (राजू) ने संभाली है। यात्रा के लिए श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।

प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. अशोक अग्रवाल ने जानकारी दी कि इस यात्रा का नाम समाज के आराध्य भगवान श्री अग्रसेन के नाम पर रखा गया है। उन्होंने बताया कि भगवान श्री अग्रसेन, भगवान श्री राम के पुत्र कुश की 34वीं पीढ़ी के वंशज थे। इस यात्रा का उद्देश्य समाज के सभी अग्रवाल बंधुओं को भगवान श्री अग्रसेन के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और सामाजिक एकता को बढ़ावा देना है।
यात्रा का कार्यक्रम और प्रमुख स्थल:
यात्रा प्रभारी श्री राजेंद्र अग्रवाल (राजू) ने बताया कि यह तीर्थ यात्रा विशेष सुपरफास्ट ट्रेन के माध्यम से आयोजित की जा रही है। यात्रा में प्रयागराज, विंध्याचल, वाराणसी और अयोध्या जैसे पवित्र तीर्थस्थलों पर प्रमुख रूप से रुकावट होगी।
यात्रा का प्रारंभ 22 मार्च 2025 को डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी धाम से होगा। इसके बाद यह ट्रेन राजनांदगांव, दुर्ग, रायपुर, भाटापारा और बिलासपुर/उसलापुर होते हुए तीर्थ स्थलों की ओर प्रस्थान करेगी। यात्रा 27 मार्च 2025 को डोंगरगढ़ वापस लौटेगी।
धार्मिक यात्रा के उद्देश्य:
प्रांतीय उपाध्यक्ष श्री कमल मित्तल ने बताया कि यह यात्रा छत्तीसगढ़ के अग्रवाल समाज के लिए आपसी समन्वय और सौहार्द्र बढ़ाने का अवसर है। इससे पहले, 2010 में अग्रोहा धाम के लिए भी एक यात्रा आयोजित की गई थी, जिसे अग्रवाल बंधुओं का अपार स्नेह और समर्थन प्राप्त हुआ था। इसके बाद से ऐसी यात्रा की लगातार मांग की जा रही थी।
रायगढ़ जिले के लिए संपर्क सूत्र:
रायगढ़ जिले के श्रद्धालु यात्रा की जानकारी और आरक्षण के लिए निम्नलिखित सदस्यों से संपर्क कर सकते हैं:
– बजरंग अग्रवाल, बीके (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य)
– बाबूलाल अग्रवाल (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अधिवक्ता)
– कमल मित्तल (उपाध्यक्ष)
– नरेश अग्रवाल (संगठन मंत्री)
श्रद्धालुओं में उत्साह:
यात्रा की तैयारियों को लेकर छत्तीसगढ़ के अग्रवाल समाज में जबरदस्त उत्साह है। आयोजन समिति को विश्वास है कि मासांत तक इस ट्रेन में सभी सीटें भर जाएंगी।
इस यात्रा के माध्यम से छत्तीसगढ़ के अग्रवाल समाज को न केवल धार्मिक अनुभव मिलेगा, बल्कि समाज में एकजुटता और भाईचारे को भी बल मिलेगा।


