• नव निर्माण संकल्प समिति ने 14 वर्ष पहले बनाए गए प्रावधानों को बदलने की उठाई मांग…
• औद्योगीकरण एवं अन्य परियोजनाओं में अधिग्रहण होने वाले जमीनों का किसानों को नहीं मिल रहा है उचित मुआवजा…


रायगढ़। छत्तीसगढ़ में लागू आदर्श पुनर्वास नीति में अंतिम बार 19 मार्च 2010 में बदलाव किया गया। इस नीति को लागू हुए 14 वर्ष बीत गए हैं । इस दौरान राज्य की सरकारों में कई मर्तबा बदलाव हो गया लेकिन छत्तीसगढ़ के किसानों के हक और अधिकार के लिए इस पुनर्वास नीति में पिछले 14 वर्षों में कोई बदलाव नहीं हो पाया है।
रायगढ़ के शिक्षाविद एवं समाजसेवी रामचंद्र शर्मा के नेतृत्व में नव निर्माण संकल्प समिति के धर्मजयगढ़ घरघोड़ा, पुसौर, पूर्वांचल खरसिया, तमनार आदि क्षेत्र के सदस्यों ने छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति में शासकीय तथा अर्धशासकीय व निजी उद्योगों से प्रभावित होने वाले प्रदेश के लाखों किसानों के हक और अधिकार के लिए छत्तीसगढ़ में लागू 14 वर्ष पुराने आदर्श पुनर्वास नीति में संशोधन कर किसानों के हक में प्रभावी और नई जनकल्याणकारी नीति लागू करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को मंगलवार 24 जून को ज्ञापन सौंपा है।
नव निर्माण संकल्प समिति ने अपने पत्र के माध्यम से बताया है कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद प्रदेश के विकास और उद्योग की स्थापना तथा उनसे प्रभावित होने वाले किसानों तथा अन्य जनमानस के हित में छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति 2007 लागू किया गया। 19 मार्च 2010 को छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति में यथासंशोधन किया गया है l यह पुनर्वास नीति छत्तीसगढ़ के आदिवासी किसान और उद्योगों से प्रभावित होने वाले नागरिकों के हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई है l लेकिन आज के वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ का यह आदर्श पुनर्वास नीति छत्तीसगढ़ के आदिवासी किसान और औद्योगिकरण से प्रभावित होने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन कर उभरी है l
छत्तीसगढ़ में आदर्श पुनर्वास नीति संशोधित हुए लगभग 14 वर्ष पूरे हो गए हैं। प्रदेश के कृषि एवं राजस्व भूमि के दरों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। परंतु छत्तीसगढ़ में औद्योगिक एवं अन्य प्रयोजन हेतु प्रभावित होने वाले किसानों को 2007 व 2010 के पुनर्वास नीति के तहत मुआवजा व पुनर व्यवस्थापन का निर्धारण शासन एवं औद्योगिक संस्था द्वारा किया जाता है l छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति 19 मार्च 2010 में पड़त भूमि 6 लाख, एक फ़सली 8 लाख एवं दो फ़सली कृषि भूमि का 10 लाख प्रति एकड़ मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है जो आज के समय छत्तीसगढ़ में लागू आदर्श पुनर्वास नीति किसी भी तरीके से प्रभावी एवं आम जनता के हित में नहीं है l जिस कारण प्रदेश भर में आज किसान आंदोलन बड़े पैमाने पर हो रहा है l पुनर्वास नीति 2007/10 प्रभाव से लागू होने के कारण सबसे ज्यादा नुकसान औद्योगीकरण से प्रभावित होने वाले किसान और आदिवासियों को उठाना पड़ रहा है। साथ ही प्रदेश के औद्योगिक विकास भी लंबे समय से रुका हुआ है। इसलिए जनहित में छत्तीसगढ़ में 14 वर्ष पुराने पुनर्वास नीति में बदलाव किया जाना बहुत जरुरी है।
इन प्रावधानों में बदलाव करने की रखी मांग
(1)भू अर्जन के मामले में भू अर्जन अधिनियम के तहत निर्धारित मुआवजा राशि में संशोधन कर वृद्धि किए जाने की मांग।
(क) पड़त भूमि हेतु 6 लाख प्रति एकड़ के स्थान पर 40 लाख रूपये प्रति एकड़ मुआवजा निर्धारण किए जाने का प्रावधान सुनिश्चित करने की मांगl
(ख) असिंचित (एक फ़सली) भूमि 8 लाख प्रति एकड़ के स्थान पर 50 लाख प्रति एकड़ मुआवजा निर्धारण किए जाने का प्रावधान सुनिश्चित करने की मांग l
(ग ) सिंचित ( दो फ़सली ) भूमि हेतु 10 लाख रुपए प्रति एकड़ के स्थान पर 60 लाख रुपया प्रति एकड़ मुआवजा निर्धारण किए जाने का प्रावधान सुनिश्चित करने की मांग l
(2) शासकीय तथा निजी संस्थाओं की परियोजनाओं के लिए आवश्यक भूमि की अधिग्रहण से प्रभावित व्यक्तियों की अधिग्रहित की जाने वाली भूमि का समुचित मुआवजा मिलने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर प्रत्येक परिवार के व्यस्क सदस्यों के रहने हेतु आवासीय परिसर और रोजगार की भूमि अधिग्रहण के साथ-साथ व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने की प्रावधान सुनिश्चित किए जाने का मांग l
(3) शासकीय तथा निजी परियोजनाओं से प्रभावित होने वाले प्रभावित नागरिकों के लिए नि:शुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा की उपलब्धता की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने का प्रावधान करने की मांग।
(4) अधिग्रहण किए जाने वाले भूमि के चल अचल संपत्ति, नलकूप, बावड़ी, तालाब, कुआ, मकान, फार्म हाउस, पेड़, पौधे, आदि के निर्धारित मानक दरों में बाजार मूल्य से 10 गुना अधिक दर निर्धारित करने प्रावधान किए जाने की मांग।
(5) किसी परियोजना द्वारा भूमि अधिग्रहण करने के 4 वर्ष के भीतर यदि उक्त परियोजना का कार्य प्रारंभ नहीं होता है तो अधिग्रहित की गई भूमि को भू स्वामी किसानों को वापस कर दिया जाने का प्रावधान सुनिश्चित किए जाने का मांग।
(6) शासकीय एवं निजी परियोजनाओं में प्रभावित होने वाले विस्थापितों को आजीविका चलाने एवं गुजर बसर के लिए प्रत्येक परिवार को 1000 वर्ग मीटर भूखंड उपलब्ध कराने तथा भूखंड के विकास एवं भवनों का निर्माण की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रावधान किये जाने का मांग।
(7) छत्तीसगढ़ में शासकीय व अर्ध शासकीय विभिन्न परियोजनाएं प्रस्तावित हैं सभी परियोजनाओं में कृषि व निजी भूमि अधिग्रहण किया जाना है अथवा प्रक्रियाधीन है। छत्तीसगढ़ में किसान और आदिवासी तथा आम नागरिकों के हित में प्रभावी और नई पुनर्वास नीति के लागू होने तक समस्त परियोजनाओं के भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर रोक लगाए जाने की मांग।
(8) छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति में छत्तीसगढ़ के पर्यावरण संरक्षण हेतु जल, जंगल, जीव-जंतु तथा प्राकृतिक जल स्रोत आदि के संरक्षण का प्रावधान किए जाने की मांग। के अलावा वर्तमान छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति 2007 संशोधित अधिनियम 2010 के अन्य जनहित के प्रावधान एवं बिंदुओं को नए आदर्श पुनर्वास नीति में शामिल किए जाने की मांग की है।
इन्हें भेज रहे है पत्र
छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति में संशोधन करने की मांग को लेकर रायगढ़ जिला कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी के माध्यम से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को नव निर्माण सांकल समिति के सचिव दीपक मंडल और संस्था के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर मंगलवार 24 जून को ज्ञापन सौंपा है। वही इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग मंत्रालय रायपुर को भी पत्र भेज रहे है। इसके अलावा रायगढ़ विधायक एवं प्रदेश के वित्त मंत्री से भी मुलाकात कर इस संदर्भ में आवश्यक कार्यवाही की मांग करेंगे।
नीति में बदलाव होने से लाखों प्रभावित किसानों को मिलेगा लाभ
नवनिर्माण संकल्प समिति और रामचंद्र शर्मा ने छत्तीसगढ़ के लाखों किसानों से जुड़ा मुद्दा उठाया है। क्योंकि छत्तीसगढ़ में 2015 के बाद लगभग 30 नए कोयला खदान आबंटित हुए हैं इसके अलावा भारत माला प्रोजेक्ट तथा विभिन्न निजी संस्था और उद्योग और रेल परियोजनाओं के विस्तार के लिए किसानों का जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ के किसानों को आज के वर्तमान हिसाब से मुआवजा एवं विस्थापन का लाभ नहीं मिल पा रहा है। छत्तीसगढ़ के किसानों की जमीन आज से 14 वर्ष पहले निर्धारण किए गए 6 लाख 8 लाख और 10 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से ही मुआवजा निर्धारित किया जाता है। जिससे सीधे तौर पर छत्तीसगढ़ के किसान शोषण का शिकार हो रहे हैं। और भू अर्जन तथा जमीन अधिग्रहण के मामलों में किसान और आदिवासियों की सुनवाई नही हो पाती है और उन्हें न्याय के लिए भटकना पड़ता है। इसीलिए छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति ही एक ऐसा माध्यम है जिसके संशोधन होने से छत्तीसगढ़ के लाखों किसानों को लाभ और न्याय मिल सकता है। इसीलिए नवनिर्माण संकल्प समिति और रामचंद्र शर्मा ने छत्तीसगढ़ के लाखों किसानों के हक और अधिकार के लिए पुनर्वास नीति में संशोधन करने की मांग शासन से की है।
क्या कहते हैं रामचंद शर्मा
वर्तमान समय को देखें तो 14 वर्ष पहले लागू पुनर्वास नीति आज के समय में जनहित हितेशी और प्रभावित लोगों के लिए कारगर नहीं है। जिससे औद्योगीकरण से प्रभावित होने वाले किसान आम नागरिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सबसे अहम बात यह है कि छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति में पर्यावरण, जल,जंगल के संरक्षण के लिए कोई प्रावधान नहीं है। जबकि सबसे ज्यादा औद्योगिकरण से जल जंगल और जमीन को नुकसान पहुंच रहा है। हमने अपने मांग पत्र पर छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति में पर्यावरण संरक्षण के दिशा में भी प्रावधान करने की मांग की है। जिससे प्राकृतिक जल स्रोत और जंगलों को बचाया जा सके। इसके अलावा व्यापार में उद्योगों से प्रभावित होने वाले किसानों के हितों को ध्यान में रखकर मुआवजा निर्धारण दर में भी संशोधन कर वर्तमान महंगाई बाजार मूल्य के आकलन के हिसाब से पड़त भूमि,एक फसली और दो फसली भूमि प्रति एकड़ 40, 50, और 60 लाख रुपया निर्धारित करने की मांग भी की है। जबकि अभी उद्योगों से प्रभावित होने वाले किसानों को महज 6,8 और 10 लख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से ही मुआवजा मिलता है।
