रायगढ़ में बीती रात से हो रही मूसलाधार बारिश ने रायगढ़ शहर को पूरी तरह बेहाल कर दिया है। आधा दर्जन से ज्यादा कॉलोनियों में घरों के भीतर तक नालियों का गंदा पानी घुस गया है, सड़कें नालों में तब्दील हो चुकी हैं और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है। बारिश थमने का नाम नहीं ले रही, और सिस्टम की पोल खुल चुकी है। लोग अपने ही घरों में कैद हो गए हैं – कहीं बिजली गुल है तो कहीं बच्चे स्कूल नहीं जा सके। शहर की हालत देखकर ऐसा लग रहा है मानो रायगढ़ नहीं, कोई डूबता हुआ टापू हो!
जहां नजर दौड़ाएं, बस पानी ही पानी – घरों में, दुकानों में, सड़कों पर
भगवानपुर, वार्ड 19, 21, 22, कृष्णा वाटिका, शिवम विहार, फ्रेंड्स कॉलोनी, सिद्धिविनायक कॉलोनी, आशीर्वाद कॉलोनी, मौदहापारा चर्च रोड, गंधरी पुलिया, रामभांठा, बजरंगपारा, गोपी टॉकीज रोड, गुजराती पारा, स्टेडियम के पीछे और गोकुलधाम जैसे इलाके बुरी तरह जलभराव की चपेट में हैं। कई घरों में रातभर लोग बाल्टी लेकर पानी निकालते रहे, कुछ परिवारों ने तो ऊपरी मंजिल या पड़ोस में जाकर शरण ली।
प्रशासन के दावे धराशायी, सोशल मीडिया पर फूटा लोगों का गुस्सा
नगर निगम की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं, लेकिन तेज बारिश ने सारी तैयारियों को ध्वस्त कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रशासन की नाकामी और लचर व्यवस्थाओं पर जमकर भड़ास निकाली है। हर साल यही कहानी, हर बार वही वादे – लेकिन नतीजा शून्य। इस बार की बारिश ने ‘विकास’ की सारी परतें उधेड़ कर रख दी हैं।
न बिजली, न यातायात – हर ओर हाहाकार
कई इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप है, और सड़कों पर इतना पानी भर गया है कि यातायात पूरी तरह जाम हो चुका है। वाहन पानी में डूब गए, दुकानों का सामान बर्बाद हो गया, और लोग खुद को अपने ही घरों में बंद महसूस कर रहे हैं। बच्चों का स्कूल जाना तो दूर, लोग जरूरी सामान लाने तक बाहर नहीं निकल पा रहे।
रायगढ़ में हर साल वही जलभराव का प्रलाप – लेकिन समाधान अब तक नहीं!
यह कोई पहली बार नहीं है। हर साल बरसात में रायगढ़ की यही कहानी होती है। नगर निगम के दावों की हवा एक बार फिर निकल गई है। जनता कह रही है – “अब काफी हो चुका…!” रायगढ़ को अब सिर्फ राहत की नहीं, स्थायी समाधान की जरूरत है।
📸 तस्वीरें चौंकाने वाली हैं, हालात भयावह – और सवाल सीधा है: क्या यह वही विकास है जिसकी बातें होती हैं?









