• ‘रायगढ़ के अमरीश पुरी’ अब मंच पर नहीं दिखेंगे, पर यादों में रहेंगे अमर…
रायगढ़। हंसी बिखेरने वाला एक चेहरा, हर महफिल की जान, मंच पर आते ही तालियों की गूंज बटोरने वाला कलाकार… आज रायगढ़ के लोग भारी मन से यही कह रहे हैं – “मनीष अब नहीं रहे…”
रायगढ़ के सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार, कवि, एंकर और रंगमंच के चमकते सितारे मनीष कंकरवाल का आज रविवार को लगभग 2 बजे रायपुर में इलाज के दौरान दुखद निधन हो गया। वह वरिष्ठ पार्षद पंकज कंकरवाल के भाई थे और अपने पीछे अपनी पत्नी मोना कंकरवाल और पुत्र सहित भरा पूरा परिवार असमय छोड़कर चले गए। उनके जाने से न केवल कला जगत बल्कि रायगढ़ की आत्मा का एक हिस्सा जैसे खामोश हो गया है।
कला का बहुआयामी व्यक्तित्व:
मनीष केवल हास्य कलाकार नहीं थे, वे एक संपूर्ण मंचीय व्यक्तित्व थे। नाटकों में अपनी दमदार उपस्थिति से, कवि सम्मेलनों में व्यंग्य और हास्य की धार से, और मंच संचालन में अपनी प्रभावशाली आवाज़ से उन्होंने हर वर्ग के दिल में जगह बनाई। वे जितनी सहजता से लोगों को हँसाते थे, उतनी ही शिद्दत से समाज के मुद्दों को भी अपनी कला में जगह देते थे।
हर कार्यक्रम की जान – ‘रायगढ़ के अमरीश पुरी’
लोग उन्हें प्यार से “रायगढ़ के अमरीश पुरी” कहते थे – उनके अभिनय में वही गरिमा, वही प्रभाव। मंच पर उनकी उपस्थिति ही काफी थी दर्शकों को बांधने के लिए। उनके संवाद, उनका हावभाव और उनका अंदाज, सब कुछ खास था।
मिलनसार और सहज व्यक्तित्व:
उनकी सबसे बड़ी पहचान थी – उनका हँसता हुआ चेहरा और मिलनसार स्वभाव। वे जिस किसी से मिलते, उसे अपना बना लेते। उनकी बातें, उनके जोक्स, और उनके जीवन को देखने का नजरिया – सब कुछ इतना सकारात्मक था कि उनके आस-पास एक अलग ही ऊर्जा होती थी।
स्मृतियों में अमर रहेंगे मनीष
आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी स्मृतियां, उनकी प्रस्तुतियां और उनके शब्द सदैव जीवित रहेंगे। रायगढ़ ने एक कलाकार नहीं, एक संवेदनशील इंसान, एक मार्गदर्शक और एक हँसती हुई आत्मा को खो दिया है।
मनीष कंकरवाल MWS (मॉर्निंग वॉकर्स सोसायटी) के भी सक्रिय सदस्य थे।
MWS के सदस्यों की ओर से मनीष कंकरवाल जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
ईश्वर उन्हें अपनी शरण में स्थान दें और परिजनों को यह असीम दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।
– कमल शर्मा
