रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में मंगलवार देर रात इंसान और वन्यजीव के टकराव का खौफनाक दृश्य सामने आया, जब एक हथिनी अपने शावक के साथ गांव में घुस आई और तबाही मचा दी। इस हमले में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें एक 3 साल का मासूम बच्चा, एक महिला और एक ग्रामीण शामिल हैं।
घटना लैलूंगा वन परिक्षेत्र के अंतर्गत ग्राम गोसाईडीह और मोहनपुर की है, जहां रात करीब 10 बजे के बाद हथिनी और उसका शावक बगुडेगा होते हुए गमेकेला और मोहनपुर गांवों में घुस आए।
मासूम की चीख पर भड़क उठी हथिनी
गोसाईडीह गांव में जब हाथी ने दो घरों को तहस-नहस कर दिया, तो उस दौरान एक 3 वर्षीय बच्चा जोर-जोर से रोने लगा। उसकी आवाज सुनकर उग्र हुई हथिनी ने मासूम को अपनी सूंड से पटक-पटककर मौत के घाट उतार दिया। यह मंजर देख ग्रामीण और वनकर्मी दहशत में आ गए।
खेत में महिला को कुचला, ग्रामीण घर में दबकर मरा
इसके बाद हथिनी आगे बढ़ती हुई मोहनपुर गांव पहुंची, जहां उसने खेत में काम कर रही संतरा बाई (43 वर्ष) पर हमला कर दिया। महिला को सूंड से उठाकर जमीन पर पटक दिया गया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
इतना ही नहीं, हथिनी ने गांव के एक कच्चे घर को भी तोड़ दिया। घर की दीवार गिरने से*पुरुषोत्तम खड़िया (50 वर्ष) मलबे में दब गए और उनकी भी मौत हो गई।
कई घरों में तोड़फोड़, गांव में दहशत का माहौल
गुस्साई हथिनी ने मोहनपुर में तीन घरों को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया और इसके बाद जंगल की ओर लौट गई। रातभर गांव में अफरा-तफरी का माहौल रहा।
वन विभाग सुबह पहुंचा, तात्कालिक राहत दी गई
हाथियों की गतिविधियों की जानकारी वन विभाग को पहले ही मिल गई थी, जिसके बाद करीब 10 किमी तक मुनादी कराई गई थी, लेकिन हाथी गांवों में घुसने से नहीं रुके। घटना के बाद बुधवार सुबह वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, नुकसान का आकलन किया और मृतकों के परिजनों को तात्कालिक सहायता राशि सौंपी गई।
मृतकों की पहचान:
• 3 वर्षीय मासूम, ग्राम अंगेकेला निवासी
• संतरा बाई (43 वर्ष), ग्राम मोहनपुर
• पुरुषोत्तम खड़िया (50 वर्ष), ग्राम मोहनपुर
लगातार बढ़ रही है हाथियों की आमद
यह घटना छत्तीसगढ़ में मनुष्य-हाथी संघर्ष का ताजा उदाहरण है। बीते महीनों में सरगुजा, जशपुर और रायगढ़ जिलों में हाथियों की आमद और हमलों में लगातार इजाफा हो रहा है। वन विभाग की चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं।
👉 अब सवाल यह है कि वन विभाग इन घटनाओं को रोकने के लिए और कितनी मुनादी करेगा, जब तक ठोस समाधान नहीं ढूंढा जाएगा, तब तक ग्रामीण इलाकों में जानमाल की सुरक्षा अधर में ही रहेगी।
