रायगढ़। प्रदेश और देश में चुनावी समर अब समाप्त हो चुका है। नतीजे साफ हैं और जनता ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है—अब पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक, हर स्तर पर भाजपा की सरकार है। ऐसे में अब विकास कार्यों को गति देना, मोहल्लों की समस्याओं का समाधान करना और सड़क, सफाई, रोशनी, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
हालांकि, कई वार्डों में अब भी विपक्षी पार्षदों का वर्चस्व है, जो भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। ऐसे में भाजपा के पास एक कारगर विकल्प हो सकता है—गैर-राजनीतिक, लेकिन समझदार, ऊर्जावान और सक्रिय युवाओं को आगे लाना और उन्हें एल्डरमैन बनाकर वार्डों में विकास की लय बनाए रखना। इससे पार्टी अपने कार्यों को जनता तक सीधे पहुंचा सकेगी और आगामी चुनावों में जयंत, सलीम, लक्ष्मी और शाखा जैसे मजबूत विपक्षी नेताओं के प्रभाव को तोड़ने में सफल हो सकती है।
राजनीति में युवाओं का सूर्योदय:
भाजपा संगठन चुनावों में नए चेहरों को मौका देने के अपने प्रयोग में सफल रही है। यदि इसी प्रयोग को स्थानीय स्तर पर भी लागू किया जाए और वार्डों में नए, ऊर्जावान और मिलनसार युवाओं को जिम्मेदारी दी जाए, तो यह संगठन और सरकार, दोनों के लिए फायदेमंद होगा। इससे जनता के बीच विश्वास भी मजबूत होगा और एक नई राजनीतिक पीढ़ी का उदय हो सकेगा।
अनुभव और युवा ऊर्जा का तालमेल:
भाजपा यदि नए चेहरों को आगे बढ़ाती है, तो पुराने और अनुभवी कार्यकर्ताओं का सहयोग और मार्गदर्शन भी इन युवा एल्डरमैन के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। इससे पार्टी के प्रति जनता में सकारात्मक संदेश जाएगा और विकास कार्यों की गति भी बनी रहेगी।
अब देखना यह होगा कि भाजपा इस रणनीति को कितना कारगर मानती है और इसे अमल में लाने के लिए क्या कदम उठाती है। फिलहाल, वार्डों में जनता का जो मूड नजर आ रहा है, वह यही संकेत देता है कि यदि भाजपा सही रणनीति अपनाए, तो आने वाले चुनावों में उसे बड़ी सफलता मिल सकती है।
आखिरकार, “करते हो तुम कन्हैया, मेरा नाम हो रहा है” की तर्ज पर यदि भाजपा वार्डों में काम करके भी श्रेय किसी और को जाने देगी, तो यह उसकी रणनीतिक कमजोरी मानी जाएगी। अब निर्णय भाजपा आलाकमान के हाथ में है—विकास की नई इबारत लिखी जाएगी या फिर शहर सरकार हाथ मलती रह जाएगी।
📝 नीतेश शर्मा
