Raigarh: चुनावी बुखार अब धीरे-धीरे अपने पूरे तापमान पर चढ़ने लगा है। आज नामांकन दाखिले का अंतिम दिन था, जिसके साथ ही यह दंगल अब अपने पूरे जोर-शोर से आगे बढ़ेगा। किसी के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरी होंगी, तो किसी के लिए यह सुकून की ठंडी हवा जैसा साबित होगा।
कौन बनेगा जनता का असली नायक?
यह तो 15 फरवरी को होने वाले मतदान के बाद ही साफ होगा कि जनता के दिलों में कौन बसता है और किसे “मुकद्दर का सिकंदर” का ताज पहनाया जाएगा। लेकिन बीते कुछ दिनों में बदलते राजनीतिक समीकरण और कुछ वार्डों में हुई हलचल ने यह जरूर साबित कर दिया है कि “लोग तो समझे थे कि तमाशा होगा… पर किसी ने खामोश रहकर ही बाजी पलट दी…”
राजनीतिक समीकरणों के इशारे:
शहर के सबसे चर्चित वार्ड में भाजपा प्रत्याशी की घोषणा के बाद कांग्रेस का टिकट बंटवारे से पहले ही एक कद्दावर नेता का पार्टी को भावुकता से अलविदा कहना, और उसी वार्ड के एक अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता का भगवा रंग में रंग जाना, इन घटनाओं ने रायगढ़ की राजनीति में कई संकेत दिए हैं।
इसके अलावा, टिकट मिलने के बाद भी एक प्रत्याशी का नाम वापस लेकर पार्टी के प्रति समर्पण दिखाना, राजनीतिक हलचल को और दिलचस्प बना रहा है।
अब देखना होगा कि यह चुनावी रणभूमि, जो अभी तक शांत राजनीति का गढ़ मानी जाती थी, किस करवट बैठती है। निर्दलीय प्रत्याशियों की ताल ठोकना, मनाने-मनवाने की कवायदें, और अंत में मतदान का असली खेल—आगामी हफ्तों में रायगढ़ की राजनीति के कई नए रंग दिखने वाले हैं।
जनता की नज़र सब पर:
शहर की जनता अब जागरूक हो चुकी है। चुनावी सड़कों पर बढ़ती हलचल, यातायात की समस्याएं, और हर साल मेले की तरह लगने वाला डेंगू का डंक—इन सब मुद्दों को जनता ने करीब से देखा है।
यह पब्लिक है, ये सब जानती है!
चुनावी चर्चा के लिए बने रहें रायगढ़ दृष्टि के साथ। आगामी 15 फरवरी तक चुनावी रणभूमि के हर छोटे-बड़े पहलू की कवरेज के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।
✍️📝: नीतेश शर्मा।
