रायगढ़, छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास में स्वर्गीय श्री पालूराम धनानिया जी का नाम उनकी समाजसेवा और शिक्षा, संस्कृति, और लोक कल्याण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा। अपनी दूरदृष्टि, परोपकार की भावना, और समाज के प्रति गहरी आस्था के कारण उन्होंने रायगढ़ को एक नई दिशा दी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा दी।
प्रारंभिक जीवन और समाज सेवा की शुरुआत
स्वर्गीय श्री पालूराम धनानिया जी रायगढ़ के उन चंद व्यक्तित्वों में से एक थे, जिन्होंने न केवल अपनी मेहनत और लगन से व्यक्तिगत सफलता प्राप्त की, बल्कि समाज के उत्थान के लिए अपनी ऊर्जा और संसाधनों का उपयोग किया। उनकी सरलता, परोपकार, और कर्मठता ने उन्हें लोगों के बीच विशेष स्थान दिलाया।
शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
श्री धनानिया जी ने रायगढ़ में शिक्षा के प्रचार-प्रसार को अपना प्राथमिक लक्ष्य बनाया। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण में सहयोग किया और शिक्षा को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास किया। उन्होंने “पालूराम धनानिया कॉमर्स एंड आर्ट्स कॉलेज, रायगढ़” को लोगों को समर्पित किया, जो आज शिक्षा के क्षेत्र में उनकी महान सोच का प्रतीक है। इसके साथ ही उन्होंने छात्रवृत्तियों और शैक्षणिक कार्यक्रमों के माध्यम से गरीब और वंचित वर्गों की सहायता की, जिससे रायगढ़ में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठा।
सांस्कृतिक और धार्मिक योगदान
रायगढ़ की संस्कृति और परंपराओं को सहेजने में श्री पालूराम धनानिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने मंदिरों, वाचनालयों और सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना में सहयोग किया। उनकी पहल से रायगढ़ में धार्मिक आयोजनों और मेलों को प्रोत्साहन मिला, जिसने न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि में भी योगदान दिया।
समाजसेवा और लोक कल्याण
श्री धनानिया जी ने समाज के हर वर्ग की मदद के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं, धर्मशालाओं, और गरीबों के लिए भोजन वितरण जैसे कार्यक्रमों का समर्थन किया। उनकी परोपकार की भावना ने न केवल रायगढ़ बल्कि आस-पास के क्षेत्रों के लोगों का भी भला किया।
विरासत और प्रेरणा
स्वर्गीय श्री पालूराम धनानिया जी का जीवन समाजसेवा और परोपकार का प्रतीक है। उनकी सोच और कार्यों ने रायगढ़ को एक नई पहचान दी। “पालूराम धनानिया कॉमर्स एंड आर्ट्स कॉलेज” उनकी दूरदृष्टि और समाज के प्रति उनके समर्पण का स्थायी प्रतीक है। आज भी उनके द्वारा किए गए कार्य उनके व्यक्तित्व की गहरी छाप छोड़ते हैं। उनकी विरासत उन सभी को प्रेरित करती है, जो समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं।
निष्कर्ष
श्री पालूराम धनानिया जी रायगढ़ के सच्चे रत्न थे। उनका जीवन त्याग, समर्पण, और सेवा का आदर्श प्रस्तुत करता है। रायगढ़ की धरती हमेशा उनकी कृतज्ञ रहेगी और उनकी स्मृति आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उनके योगदानों को याद करते हुए, रायगढ़ “दृष्टि” परिवार उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।