सेठ किरोड़ीमल लुहारीवाला का नाम रायगढ़ के विकास और आधुनिकता के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। हरियाणा के हिसार में 15 जनवरी 1982 को जन्मे सेठ किरोड़ीमल ने संघर्षपूर्ण जीवन के बाद कलकत्ता में व्यवसायिक सफलता प्राप्त की। लेकिन उनकी सच्ची पहचान रायगढ़ नगर के विकास में उनके योगदान से हुई।
सेठ किरोड़ीमल धर्मादा ट्रस्ट की स्थापना
1946 में उन्होंने सेठ किरोड़ीमल धर्मादा ट्रस्ट की स्थापना की। इसके माध्यम से उन्होंने रायगढ़ में शिक्षा, चिकित्सा और संस्कृति के क्षेत्रों में अनेक परियोजनाएं शुरू कीं, जो आज भी स्थानीय समाज के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं।
शैक्षणिक संस्थानों का निर्माण
सेठ किरोड़ीमल ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना की:
1. विविध शिल्प कला मंदिर: आधुनिक शिक्षण सुविधाओं, बाग-बगीचों और छात्रावास से युक्त यह संस्थान इंजीनियरिंग कॉलेज जैसा अनुभव कराता है।
2. किरोड़ीमल नटवर हाई स्कूल: एक विशाल तीन मंजिला स्कूल भवन, जो क्षेत्र में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने में सहायक बना।
3. किरोड़ीमल आदर्श बाल मंदिर: बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए आदर्श संस्थान, जिसे महिला मंडल रायगढ़ संचालित करता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान
रायगढ़ का श्री गौरीशंकर मंदिर सेठ किरोड़ीमल की सांस्कृतिक संवेदनशीलता का उत्कृष्ट उदाहरण है। राजस्थान के शिल्पियों द्वारा निर्मित संगमरमर का यह मंदिर वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर में प्रतिवर्ष आयोजित मेले और सजीव झांकियां श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

चिकित्सा सेवाओं में योगदान
रायगढ़ में चिकित्सा सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए सेठ किरोड़ीमल ने कई संस्थानों की स्थापना की:
1. अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय: उनकी पत्नी के नाम पर स्थापित यह आधुनिक चिकित्सालय महिलाओं को निःशुल्क सेवाएं प्रदान करता है।
2. महात्मा गांधी नेत्र चिकित्सालय: नेत्र रोग निदान के लिए यह संस्थान क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
3. सेठ किरोड़ीमल दांतव्य औषधालय: यहां आयुर्वेदिक पद्धति से निःशुल्क चिकित्सा दी जाती है।
4. राजकीय चिकित्सालय: आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित यह चिकित्सालय सेठ किरोड़ीमल के प्रयासों से स्थापित हुआ।
समाज सेवा और सार्वजनिक सुविधाएं
सेठ किरोड़ीमल ने रायगढ़ में वाचनालय, धर्मशाला, और अन्न क्षेत्र जैसी सार्वजनिक सुविधाएं भी विकसित कीं। इन संस्थानों ने गरीबों और जरूरतमंदों को निःशुल्क सेवाएं देकर उनके जीवन को बेहतर बनाया।
विरासत और प्रेरणा
सेठ किरोड़ीमल केवल रायगढ़ तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने पंचमढ़ी, रायपुर, दिल्ली, और मथुरा जैसे स्थानों में भी लोकसेवा के कई प्रकल्प शुरू किए। उनके प्रयासों ने न केवल रायगढ़ को एक आधुनिक स्वरूप दिया, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में समाजसेवा का आदर्श स्थापित किया।
निष्कर्ष
रायगढ़ नगर के आधुनिक स्वरूप के निर्माण में सेठ किरोड़ीमल लुहारीवाला का योगदान अतुलनीय है। उनकी दूरदृष्टि और सेवा भावना ने रायगढ़ को शिक्षा, चिकित्सा और संस्कृति के क्षेत्र में ऊंचाई तक पहुंचाया। आज उनका जीवन और कार्य अन्य समाजसेवियों को प्रेरणा देने का कार्य करते हैं।