छत्तीसगढ़। अब सरकारी स्कूलों में भी बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और समग्र विकास को लेकर पालकों से सीधा संवाद होगा। निजी स्कूलों की तर्ज पर अब सरकारी स्कूलों में भी नियमित रूप से पालक-शिक्षक बैठक (PTM) आयोजित की जाएगी। पहली बैठक अगस्त के पहले सप्ताह में सभी शासकीय स्कूलों में आयोजित की जाएगी।
स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने इस संबंध में सभी जिलों के कलेक्टरों, संभागीय संयुक्त संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। शासन का मानना है कि पालकों की भागीदारी से बच्चों की शिक्षा व्यवस्था और सुदृढ़ होगी, वहीं ड्रॉपआउट दर में भी कमी आएगी।
क्या होगा बैठक में?
पालक-शिक्षक बैठक के दौरान विद्यार्थियों की अकादमिक प्रगति, कक्षा में व्यवहार, स्वास्थ्य परीक्षण, और पोषण स्थिति पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही पालकों को पढ़ाई के वातावरण, घर में सहयोग, और स्कूल की गतिविधियों की जानकारी दी जाएगी। पालक भी शिक्षकों को पढ़ाई संबंधी सुझाव दे सकेंगे, जिससे स्कूल और घर के बीच मजबूत समन्वय बन सके।
शिक्षा नीति के अनुरूप कदम
यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप मानी जा रही है, जिसमें छात्र, शिक्षक और पालकों के बीच संवाद और सहभागिता को आवश्यक माना गया है। विभाग का मानना है कि पालक-शिक्षक संवाद से न केवल छात्रों की पढ़ाई में सुधार होगा, बल्कि उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को समझना और उन्हें दूर करना भी आसान होगा।
तीन चरणों में होंगी बैठकें
1. पहली बैठक: अगस्त के पहले सप्ताह में
2. दूसरी बैठक: तिमाही परीक्षा के 10 दिन के भीतर
3. तीसरी बैठक: छमाही परीक्षा के 10 दिन के भीतर
शिक्षा विभाग का यह कदम सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। अब देखना होगा कि पालक-शिक्षक संवाद बच्चों के भविष्य को कितना नया आकार देता है।
