नई दिल्ली। आज से 21 साल पहले, 23 जनवरी 2004 का दिन भारतीय इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने हर भारतीय को अपने घर, दफ्तर और सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार दिया।
इस अधिकार के लिए उद्योगपति और समाजसेवी श्री नवीन जिन्दल ने 10 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उनका तर्क था कि तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं, बल्कि हर भारतीय के आत्मसम्मान और गर्व का प्रतीक है। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया, जिसने हर नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत तिरंगा फहराने का मौलिक अधिकार प्रदान किया।

यह फैसला हर भारतीय के लिए गर्व और आजादी के मूल्यों को और मजबूत करने वाला साबित हुआ। तिरंगा, जो हमारी एकता और विविधता का प्रतीक है, आज हर घर और दिल में अपनी जगह बनाए हुए है।
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