भारत के महानतम नेताओं में से एक, अटल बिहारी वाजपेयी जी का नाम देश की राजनीति, कूटनीति और साहित्यिक जगत में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। वाजपेयी जी केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा, एक प्रेरणा और भारत के विकास की दिशा में एक अमिट हस्ताक्षर थे। उनका जीवन, व्यक्तित्व और कार्य हमें यह सिखाते हैं कि देशहित से बड़ा कोई धर्म नहीं होता।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता, कृष्ण बिहारी वाजपेयी, एक शिक्षक और कवि थे। वाजपेयी जी ने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातक किया और कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की।
राजनीतिक सफर की शुरुआत:
अटल जी का राजनीति में प्रवेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के माध्यम से हुआ। 1951 में उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। अपनी प्रखर वक्तृत्व कला और स्पष्ट विचारों के कारण वे जल्द ही भारतीय राजनीति के प्रमुख चेहरों में शामिल हो गए।
1968 में वे भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और पार्टी को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने का कार्य किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना के समय अटल जी इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
प्रधानमंत्री के रूप में योगदान:
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने (1996, 1998-1999, 1999-2004)। उनका नेतृत्व काल भारत के विकास, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।
1. परमाणु परीक्षण (पोखरण-II):
1998 में पोखरण में किए गए सफल परमाणु परीक्षणों ने भारत को विश्व पटल पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। इस कदम ने भारत को वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बनाया।
2. स्वर्णिम चतुर्भुज योजना:
अटल जी की दूरदृष्टि का एक महत्वपूर्ण उदाहरण भारत के प्रमुख राजमार्गों को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना है। इस योजना ने देश के आर्थिक विकास में क्रांतिकारी बदलाव लाए।
3. कारगिल युद्ध में नेतृत्व:
1999 के कारगिल युद्ध के दौरान अटल जी के नेतृत्व ने भारतीय सेना और जनता का मनोबल ऊंचा रखा। उनकी शांतिपूर्ण कूटनीति और दृढ़ नेतृत्व ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को और मजबूत किया।
4. पाकिस्तान के साथ शांति प्रयास:
अटल जी ने “लाहौर बस यात्रा” के माध्यम से भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने की पहल की। हालांकि यह प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हुआ, लेकिन उनकी सोच ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत शांति और सहयोग का समर्थक है।
साहित्य और कविताओं का योगदान:
अटल बिहारी वाजपेयी जी का कवि हृदय उनके व्यक्तित्व की सबसे अनूठी पहचान थी। उनकी कविताएं जैसे “गीत नया गाता हूं,” “मौत से ठन गई,” और “कदम मिलाकर चलना होगा” प्रेरणा और आशा का प्रतीक हैं। उनकी कविताएं केवल शब्द नहीं थीं, बल्कि उनके विचारों और भावनाओं का प्रतिबिंब थीं।
पुरस्कार और सम्मान:
वाजपेयी जी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें पद्म विभूषण और कई अन्य राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया।
निष्कर्ष:
अटल बिहारी वाजपेयी जी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उनकी जीवनगाथा हमें सिखाती है कि सच्चा नेता वही होता है जो देश को अपनी प्राथमिकता बनाता है। अटल जी का जीवन संघर्ष, सफलता और सेवा का अनूठा संगम था।
“अटल” शब्द उनके नाम में ही नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व और देश के प्रति उनकी निष्ठा में झलकता है। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर हम भारत को और अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
जय हिंद।